भारत सरकार के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की हालिया रिपोर्ट में सामने आया है कि भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) की वित्तीय लापरवाही के कारण सरकार को ₹1,757.76 करोड़ का भारी नुकसान हुआ है। यह नुकसान BSNL द्वारा रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड (RJIL) के साथ पैसिव इन्फ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग समझौते की शर्तों को लागू न करने के कारण हुआ।
CAG के अनुसार, BSNL ने अतिरिक्त तकनीक के उपयोग के लिए जियो से बिल नहीं लिया, जिससे मई 2014 से मार्च 2024 के बीच यह घाटा हुआ।
BSNL के अनुबंध प्रबंधन में बड़ी खामियां
CAG की रिपोर्ट बताती है कि BSNL ने मास्टर सर्विस एग्रीमेंट (MSA) को प्रभावी रूप से लागू नहीं किया और जियो द्वारा BSNL की साझा की गई इन्फ्रास्ट्रक्चर सेवाओं के अतिरिक्त उपयोग के लिए कोई शुल्क नहीं वसूला।
इसके अलावा, BSNL मूल्य वृद्धि (एस्केलेशन) क्लॉज को लागू करने में भी विफल रहा, जिसके चलते ₹29 करोड़ (GST सहित) का अतिरिक्त नुकसान हुआ।
अन्य वित्तीय नुकसानों का खुलासा
CAG रिपोर्ट में BSNL की अन्य वित्तीय गड़बड़ियों का भी जिक्र किया गया है:
- ₹38.36 करोड़ का नुकसान: 2019 से 2022 के बीच BSNL ने टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स (TIPs) को किए गए भुगतान में लाइसेंस शुल्क में कटौती नहीं की, जिससे यह नुकसान हुआ।
- ₹80.64 करोड़ की बर्बादी: BSNL की गलत योजना और प्रबंधन के कारण अंडरग्राउंड केबलों की खरीद में अनावश्यक खर्च हुआ, जबकि ये केबल कभी उपयोग में नहीं आईं।
- ₹5.43 करोड़ का कर नुकसान: BSNL ने इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के दावों को समय पर संसाधित नहीं किया, जिससे GST के रूप में यह नुकसान हुआ।
- ₹4.80 करोड़ का अनसुलझा राजस्व नुकसान: BSNL की खराब अनुबंध प्रवर्तन नीति के चलते यह नुकसान दर्ज किया गया। इसके अलावा, संभावित ₹2.31 करोड़ का ब्याज नुकसान भी हुआ।
सरकारी निवेश और घाटे की स्थिति
मार्च 2023 तक, भारत सरकार ने BSNL में ₹38,886.44 करोड़ का निवेश किया था। हालांकि, कंपनी की वित्तीय अनियमितताओं और अनुबंध प्रबंधन की विफलताओं के कारण इसे ₹1,944.92 करोड़ का कुल नुकसान उठाना पड़ा।
निष्कर्ष
BSNL की अनुबंध शर्तों को लागू न कर पाने और वित्तीय प्रबंधन में खामियों के कारण सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। CAG की रिपोर्ट BSNL के आंतरिक वित्तीय संचालन और अनुबंध प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता को दर्शाती है। यह घटना सरकार के लिए एक चेतावनी है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में पारदर्शिता और जवाबदेही को और मजबूत किया जाए।
(PTI इनपुट्स के साथ)