हैदराबाद, तेलंगाना के कांचा गचीबौली नामक क्षेत्र में फैला 400 एकड़ का हरा-भरा जंगल आज विनाश के कगार पर है। यह इलाका 734 प्रजातियों के पौधों, 220 प्रजातियों के पक्षियों, हिरण, अजगर और सदियों पुराने पेड़ों का घर है।
लेकिन तेलंगाना सरकार द्वारा इस भूमि को आईटी पार्क में बदलने के फैसले ने एक बड़ी बहस छेड़ दी है—आर्थिक विकास बनाम पर्यावरण संरक्षण। इस फैसले के विरोध में पूरे देश में आक्रोश बढ़ रहा है।
तेलंगाना की सरकार ने आधी रात में जंगल का विनाश शुरू
सरकार के इस फैसले के खिलाफ नाराजगी तब और बढ़ गई जब आधी रात में बुलडोज़र और JCB जंगल में उतार दिए गए। चमचमाती लाइटों के बीच मशीनों की गड़गड़ाहट सुनाई दी, और पेड़ों के गिरने की आवाज़ के साथ जंगल में रहने वाले जानवरों की चीखें गूंजने लगीं।
नयनी अनुराग रेड्डी (@NAR_Handle) ने X सोशल मीडिया पर कुछ दिल दहला देने वाली तस्वीरें शेयर कीं, जिनमें जानवरों को अपने आशियाने से भागते हुए देखा गया।
खासतौर पर मोर की दर्द भरी आवाज़ें जंगल के विनाश का गवाह बनीं। उन्होंने लिखा,
“क्या आप मोरों की चीखें सुन सकते हैं? उनकी डर और पीड़ा भरी आवाजें तबाही के इस मंजर को बयां कर रही हैं।”
इस ऑपरेशन को शनिवार से मंगलवार के बीच अंजाम दिया गया, जब कोर्ट की छुट्टियां थीं। इससे यह सवाल उठने लगा कि कहीं यह सब कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए तो नहीं किया गया?
विपक्ष के नेता के.टी. रामाराव (@KTRBRS) ने इसपर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “इस सरकार को पता था कि ये चार दिन कोर्ट बंद रहेगा, इसलिए उन्होंने इसी समय 400 एकड़ जंगल को नष्ट करने की साजिश रची।”
हैदराबाद शहर के जैव विविधता पर संकट
कांचा गचीबौली, हैदराबाद विश्वविद्यालय (HCU) के पास स्थित है और शहर के लिए ‘ग्रीन लंग’ यानी हरित फेफड़े की तरह काम करता है। यह क्षेत्र वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित प्रजातियों का निवास स्थान है।
@NAR_Handle ने चेतावनी दी कि “अगर यह जंगल नष्ट हो गया, तो शहर का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा। वन्यजीवों के पास जाने के लिए कोई और जगह नहीं होगी, और इसका असर पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ेगा।”
पर्यावरणविदों का मानना है कि जंगल खत्म होने से हैदराबाद की जलवायु, वायु गुणवत्ता और जल स्तर पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा।
@IndianTechGuide ने लिखा, “हैदराबाद के प्रमुख क्षेत्र कांचा गचीबौली में 400 एकड़ हरियाली को आईटी पार्क के लिए खत्म कर दिया गया। छात्रों का भारी विरोध जारी है।”
छात्रों का विरोध और पुलिस की कार्रवाई
इस तबाही के खिलाफ हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र, पर्यावरण कार्यकर्ता और नागरिक सड़कों पर उतर आए। लेकिन शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों को पुलिस द्वारा कुचल दिया गया। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में देखा गया कि छात्रों को घसीटा गया, लाठीचार्ज किया गया और गिरफ्तार कर लिया गया।
रेड्डी ने एक कोर्ट डॉक्यूमेंट साझा किया, जिसमें छात्रों पर “घातक हथियारों के साथ हमला, सरकारी कार्य में बाधा डालना और आपराधिक धमकी” जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे।
सरकार की सफाई और जनता का गुस्सा
तेलंगाना सरकार ने इस कार्रवाई को विकास परियोजना बताते हुए कहा कि यह आईटी हब को बढ़ावा देने और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए किया जा रहा है। सरकार का दावा है कि यह परियोजना हजारों करोड़ का राजस्व उत्पन्न करेगी। लेकिन लोगों ने सरकार पर झूठ बोलने और धोखा देने का आरोप लगाया।
पहले सरकार ने कहा था कि इस क्षेत्र में कोई जलस्रोत नहीं है, लेकिन कुछ ही समय बाद झील की तस्वीरें सामने आ गईं।

सरकार ने यह भी कहा कि Hyderabad Central University (HCU) प्रशासन ने इस भूमि को चिह्नित करने की अनुमति दी थी, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया।
पर्यावरणविदों का कहना है कि इस क्षेत्र को कासु ब्रह्मानंद रेड्डी (KBR) नेशनल पार्क की तरह संरक्षित घोषित किया जाना चाहिए। ‘सेव सिटी फॉरेस्ट’ समूह ने कहा, “KBR नेशनल पार्क (390 एकड़) और कांचा गचीबौली जंगल (400 एकड़) समान पारिस्थितिकी तंत्र साझा करते हैं। दोनों जगहों पर संरक्षित प्रजातियां पाई जाती हैं। ऐसे में सरकार को इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित करना चाहिए।”
ध्रुव राठी जैसे कई प्रमुख लोगों ने राष्ट्रीय स्तर पर इसका विरोध किया है।
इस मुद्दे को लेकर देशभर में आक्रोश बढ़ रहा है। जलवायु कार्यकर्ता लिसिप्रिया कंगुजम ने ट्वीट किया,
“सरकार ने दर्जनों बुलडोज़र भेजकर विश्वविद्यालय के 400 एकड़ जंगल को नष्ट कर दिया। इसे तुरंत रोका जाना चाहिए!”
पर्यावरण पत्रकार बरखा दत्त और कार्टूनिस्ट सतीश आचार्य ने भी इस फैसले की आलोचना की। आचार्य ने कहा, “तेलंगाना में कुछ बहुत गलत हो रहा है।”